एक कमी और आँखौ की यह नमी..

15940455_1033512973444602_2124405479295880489_n

आज एक कमी हैं..

मुझमे मेरी कमी हैं,

 तभी तो इन आँखौ मे एक नमी हैं।।

 

लगता है कुछ रह सा गया है..

वक्त के साथ,

वोह आतम विश्वास बह सा गया हैं।।

 

इस बदलते दौर मे..

खुद को ही खो दिया हैं,

बदलना तो बहुत कुछ चाहती थी..

पर आज खुद को ही बदला सा पा लिया हैं।।

 

मैं हूं..

पर मुझमे..वो पहले वाली काव्या नही रही,

वो पल-पल रूठने-मनाने,

खेलने-कूदने, पढ़ने वाली,

खूब लड़ने, झगड़ने वाली

काव्या..

मुझ मे से निकलकर..

कही खो गई हैं।।

 

पाना चाहती हूं उसको वापिस..

वापिस उस काव्या को, बचपने भरी लड़की को,

पागल थीं, निकमी थीं,

पर वो काव्या बड़ी आपनी सी थीं।।

 

एक पराया पन पाती हू आपने मे,

क्युकि, आज मेरे लिए वो पहले वाली..

कमली, चुल-बुली काव्या, दानू..

एक याद बनकर रह गई हैं..
प्यारी याद..।।

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s