हाँ ना-समझ हूँ मैं..!!

13516398_1242147705808931_5433918714849756918_n

हँसलो, प्यार से बोल लो,

किसी के लिए कितना भी कर लो..

अकसर लोग मतलब निकलने पर,

पराया महसूस करवा ही देते हैं..

ऐसा ही लगता है मुझे आज,

क्योंकि,

जब जब हसँती थी मैं,

तो साथ हसँते थे वो लोग,

जिन्हे आपना मानती थी मैं..

यहाँ रूख क्या बदला,

हल्की सी उदासी क्या छाई,

और वहाँ अपने ही बदल गए..

मानती हूँ..ज़िदगी है,

हँसाएगी तो रूलाएगी भी..

पर समय आने पर,

बेपरवा भी बनाएगी..

तभी तो उस दिन का इंतज़ार कर रही हूँ मैं,

जिस दिन बेपरवा बन..

आगे बढ़ती जाऊंगी मैं..

ही ही..

हसँती हूँ खुद पर आज,

इसलिए नही कि ठोकर लगी..

पर इसलिए..

कि बार बार लगने के बाद भी,

विश्वास करती रही,

और अपना मानती रही..

बच्ची नहीं हूँ मैं,

पर क्या पता था कि..

आजकल,

सच्चे, साफ़, मुह पर बोलने वालों को

ना-समझ माना जाता है.

काव्या शर्मा

Advertisement

2 comments

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s