ऐसी तोह ना थी मै||

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ऐसी तोह ना थी मै…

थोड़ी सी पगली थी,

पर बहुत अपनी सी थी…

खुद की उम्मीदो पर खुब उतरने वाली,

एक बच्ची थी मै…

रात दिन एक कर,

सपनो को साकार करने वाली,

खुब लड़ने झगड़ने वाली,

एक बच्ची थी मै…

प्यार भी करना आता था,

और…

जोखिम भी उठाना आता था…

लक्ष्य से दूर रहकर भी,

लक्ष्य के करीब रहना आता था…

नासमझ थी,

पर दिल साफ था…

आज भी दिल साफ है,

पर लोगो को साफ दिल की आदात क्हा रही?

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12 comments

  1. heart touching
    बहुत बेहतरीन आप ने भावनाओ को बखूबी बयाँ किया है

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  2. आपकी कविता में भाव की गहनता है । बहुत सुंदर ।
    कुछ शब्दों मेंलेखन की अशुद्धियां हैं
    जैसे तो को तोह लिखा है
    आदत को अदालत लिखा है

    Like

  3. आदत को आदात लिखा है
    खूब को खुब लिखा है
    कहा को क्हा लिखा है
    सुधार की आवश्यकता है ।

    Liked by 1 person

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