तुने क्या सोचा?
तेरा एक वार और मै ढेर?
इन आँसुयो को कमज़ोरी समझ,
तू मैदान मे उतर गई?
वाह,
क्या मसाल दु तेरी अब,
तु निरदेही ही नही,
मुर्थ भी निकली…
कमज़ोर वो नही जो रोदे,
कमज़ोर वो होता है,
जो अपने सवार्थ के लिए,
अपनो को ही खो दे…
कोई कम या ज्यादा नही है इस संसार मे,
जहा सब राख है,
और राख ही बन जाएँगे ।।
Beautiful madam, nicely penned
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Thank you☺
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Nice written
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Thanks a lot😊
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