क्याँ कहूँ
शब्द ही तोह नहीं है…
क्या समझाऊ
समझ ही तोह नही थी तब…
आज है,
तोह समझाना आसान नही…
या यू कहूँ,
कि जो कल नही समझ पाया,
उस से आज फिर उम्मीद रख,
क्यो एक दफा फिर,
खुद को बर्बाद करू….
कैसे बताऊ,
कि अब वोह विश्वास नही…
कैसे बताऊ,
कि अब फिर चूर-चूर होने का,
कोई सवाल नही…..
bahut khub kaha.👌👌
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Shukriya aapka😊😊
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सुभानअल्लाह
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शुकि़्या 🙂
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