मुझे याद हो तुम,
ना भूल सकूंगी तुम्हे कभी,
ना ही तुम याद आना बंद होंगे कभी…
दिल के एक कमरे में,
हक बस तुम्हारा हैं,
बस हिम्मत नहीं होती बीते लम्हों से रूबरू होने की,
अक्सर बस उस दिल के दरवाज़े के पास से गुज़रती हूं..
आंखो की यह नमी,
ज़ुबान पर तुम्हारी सलामती,
और
तुम्हारा मेरी जिंदगी में साथ ना होने का शिकवा,
मेरे हमसफ़र लगने लगे हैं मुझे।