अभी मैंने किताब बंद नहीं की,
बस कुछ किस्से गुज़रे हैं,
अभी तो बहुत से पन्ने बाकी हैं।
जब जब लगेगा अब और क्या
तब तब तुम्हे चौंका दूंगी,
ऐसे ही नहीं हवा के झोंके उड़ा सकते मुझे,
अभी तोह बहुत कुछ मुकम्मल करना हैं।
अभी मैंने किताब बंद नहीं की,
बस कुछ किस्से गुज़रे हैं,
अभी तो बहुत से पन्ने बाकी हैं।
जब जब लगेगा अब और क्या
तब तब तुम्हे चौंका दूंगी,
ऐसे ही नहीं हवा के झोंके उड़ा सकते मुझे,
अभी तोह बहुत कुछ मुकम्मल करना हैं।
Straight from the heart
In the material and spiritual realm
Pause and peruse!