ना जाने कहां ले आया ये सफ़र,
रास्तों में अनकहे से पल बिछा आया…
खोया हुआ अब कहा मिलेगा,
बिखरा हुआ कहा जुड़ेगा अब।
किस्मत कब गवाही देने आती हैं,
बस पलको पे नमी छोड़ जाती है।
मोड़ जो आएगा,
सब बदल जाएगा।
फिर आएगा वसंत,
आएगा पतझढ़ भी।
बस यूंही,
निकल जाएगा ये सफ़र।
खूबसूरत पक्तियां 👌
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शुक्रिया ✨✨
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Wow
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शुक्रिया।
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