ज़िक्र होगा,
पर लबों तक नही पहुँचेगा…
बुरा लगेगा,
पर बिखरना मंज़ूर नही होगा…
कठिनाइयां भी होंगी,
पर कमज़ोरी की जगह नही होगी…
अग्नि परीक्षा से जो गुज़री आज,
कल कोई भय या पछतावा नही होगा!
रखना अपनी कोशिशें पूरी,
पर हौसला भी ना डगमगाए कभी।
ज़िक्र होगा,
पर लबों से रूबरू ना होगा कभी!
काव्या जी आप बहुत अच्छा लिखते है। इंडिया के लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है। एक प्रतियोगिता चल रही है, जिसमें ढ़ेरों इनाम भी है। क्या आप इसमें भाग लेना चाहेंगे? अगर आप उत्सुक हो तो आप मुझे अपनी mail id दे। तो मैं आपको सारी details भेजूंगी।
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शुक्रिया आपका। लिखिए kavya.sharma@ymail.com
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मैंने आपको मेल कर दिया है।🙂
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