उमीदो के दंगल मे,
कम ही ज़्यादा है।
कितना भी कर लो किसी के लिए,
कम ही लगता है अगले को।
जब रात ज़्यादा अंधेरी होती है,
तारे भी खुद को खो कर आसमान को अपनाते है।
ज़रा ज़रा ही क्यो ना गवाही दे,
फिर भी नही दिखती असलियत कुछ लोगों को।
उमीदो के दंगल मे,
कम ही ज़्यादा है।
कितना भी कर लो किसी के लिए,
कम ही लगता है अगले को।
जब रात ज़्यादा अंधेरी होती है,
तारे भी खुद को खो कर आसमान को अपनाते है।
ज़रा ज़रा ही क्यो ना गवाही दे,
फिर भी नही दिखती असलियत कुछ लोगों को।
the art of being human in the 21st century
My meanderings through life and writing . . .
I really appreciate your writing and words awesome read.
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Thank you so much 🙏😇
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Too good Kavya..!!
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Thank you Vishal 🌼🙏🏻
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