
पलट-ना,
ना आज,
ना आगे कभी।
ये दौर बेशक कुछ दर्दनाक सा है,
मगर पलट- ना।
जो बीत गया,
माना कहते है वो बात गई।
मगर असलियत कुछ और होती है,
दौर निकल जाए भी अगर,
डोर काटना ज़रूरी है।
पलट-ना,
ना आज,
ना आगे कभी।
ये दौर बेशक कुछ दर्दनाक सा है,
मगर पलट- ना।
जो बीत गया,
माना कहते है वो बात गई।
मगर असलियत कुछ और होती है,
दौर निकल जाए भी अगर,
डोर काटना ज़रूरी है।
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