
अंत एक आग़ाज़ की दस्तक है,
या एक ज़रे का ख़ात्मा।
नज़रिया तुम्हारा अपना हो,
इख़्तियार हमेशा तुम्हारी है।
बा'द-ए-कोशिश,
एक रोज़ सुकून मुकम्मल होगा|
अंत एक आग़ाज़ की दस्तक है,
या एक ज़रे का ख़ात्मा।
नज़रिया तुम्हारा अपना हो,
इख़्तियार हमेशा तुम्हारी है।
बा'द-ए-कोशिश,
एक रोज़ सुकून मुकम्मल होगा|
Let's dive in!
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