रात की ओस में,
महकती हवा में,
एक अपना पन,
घोलती हैं चाय।
वो जब दर्द की बूँदे,
दिल के टुकड़ों पर खनकती है,
रात के सन्नाटे मे हुए शोर में भी,
चाय सुकून के दो पल दे जाती है!
वो चुसकी हो साहस की,
या घूँट हो सहनशीलता का,
चाय हर तकलीफ़ को घोल,
कम कर देती है!
चाय वो जज़्बात है,
जो दिल को सबसे ज़्यादा भाता है।
#बेबाकWriter